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वासना का पुजारी
प्रेषक : सिड सिंह
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को शर्मीले सिड की तरफ से प्यार भरा नमस्कार ! मैं मुंबई से हूँ और मेरी उम्र अभी 24 साल है। अन्तर्वासना पर अनगिनत कहानियाँ पढ़ने के बाद लगा कि क्यों न अपनी भी आपबीती आप सबसे बांटी जाये। यह मेरी पहली कहानी है और आप सब जानते हैं कि अपना पहला अनुभव बताने में थोड़ी झिझक तो होती ही है।
एक बात तो है दोस्तो, कि लड़कियों के मामले में बहुत लकी हूँ और यह बात आप लोग भी मानेंगे मेरी इस कहानी को पढ़ने के बाद ! बात तीन साल पुरानी है जब मैं फर्स्ट इयर बी सी ए कर रहा था। मैं बचपन से ही बहुत शर्मीले स्वभाव का था और बड़े होने तक भी यह आदत मेरे साथ रही। मेरी क्लास की एक लड़की थी एकता, देखने में सांवली सी पर उसके नैन नक्श इतने तीखे कि पहली ही नज़र में कोई भी घायल हो जाये।
दोस्तो, मैं बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार था और मेरे इसी होशियारी और शर्मीलेपन पर एकता अपना दिल हार बैठी थी।
बात उन दिनों की है जब हमें कॉलेज में असाइनमेंट मिला था करने को और मैंने सबसे पहले यह काम कर लिया था। एक दिन। अचानक एकता मेरे पास आई और पूछा- तुमने असाइनमेंट का काम पूरा कर लिया है क्या?
तो मैंने कहा- हाँ, मेरा तो कब का हो गया है, मैं आज जमा भी करने वाला हूँ।
तो उसने मुझसे एक दिन के लिए मेरा असाइनमेंट माँगा। तो मैंने दे दिया और उसने मुझे अपना फ़ोन नंबर भी दिया और कहा- शाम को मुझे काल करना, कुछ ज़रूरी बात करनी है।
मैंने कहा- ठीक है !
और मैंने रात को उसको काल किया तो उसने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
तो मैंने कहा- नहीं !
उसने पूछा- मुझसे दोस्ती करोगे?
तो मैंने भी हाँ कह दी और फिर इसी तरह हम रोज़ पढ़ाई करने के लिए मिलने लगे. और फिर पता नहीं कब हम दोनों दो जिस्म एक जान बन गए।
जैसा कि आप सब जानते है कि प्यार में वासना तो जायज है, तो हमने भी वो कदम उठा लिया और मौका मिलते ही एक दूसरे को किस या स्मूच कर लेते।
एक बार मेरे गाँव में शादी थी, तो सब लोग शादी में गए हुए थे लेकिन मैं घर पर अकेला रुका था पढ़ाई करने के लिए तो मैंने फ़ोन करके एकता को घर पे आने के लिए कहा और वो तुरंत मान गई। प्लान तो हमने वास्तव में पढ़ने का ही बनाया था लेकिन अकेले में दूसरे को पाकर पता नहीं कहाँ से वासना जाग गई और नतीजा यह हुआ कि हमारी किताबें बंद और कपड़े खुलने लगे।
मैंने तुरंत जाकर घर के सारे खिड़की और दरवाजे बंद कर दिए और टी वी चला कर आवाज़ बढ़ा दी। जिससे हमारी बातें कोई और ना सुन सके।
पहले तो हम दोनों ने एक दूसरे को निगाह भर के देखा और फिर भूखे शेर की तरह एक दूसरे पे टूट पड़े। एक एक कर के हमारे सारे कपड़े हमसे अलग हो गए। मैं पहली बार किसी लड़की को बिना कपड़ों के देख रहा था, मुझे तो उसे देखते ही नशा छा जाता था और आज बिना कपड़ों के देख कर तो ऐसे लगा कि इसका सारा यौवन निचोड़ कर पी जाऊँ।
मैंने अपने आप को संभाला और धीरे धीरे सब कुछ करने का निर्णय किया। और फिर मैंने चुम्बन से शुरु किया जो स्मूच में बदल गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसको किस करते करते मैंने उसकी चूचियों की तरफ रूख किया, उसकी चूचियों को देख कर ऐसा लग रहा था कि कुदरत ने उसे बहुत फुरसत के समय में गढ़ा था। पूरा यौवन उसकी चूचियों में ही समां गया हो, इतनी गदराई और मांसल चूचियों को हाथों में लेकर ऐसा लगा जैसे मैंने जन्नत की सबसे हसीं चीज को हाथों में उठा रखा हो।
उसकी चूचियों से जी भर के खेल लेने के बाद मैंने उसके चूतड़ों की तरफ हाथ बढ़ाया। उसके कूल्हे भी उसकी चूचियों जैसे मांसल और नर्म थे। सच मानो तो दोस्तो, लड़की को चोदने से ज्यादा उसके जिस्म से खेलने में मजा आता है और वही हाल मेरा था, मैं तो उसे चोदना नहीं चाहता था लेकिन उसने खुद ही मुझे चोदने के लिए कहा।
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मैंने उसकी बुर को बहुत ध्यान से देखा, ऐसा लग रहा था जैसे उस कन्दरा से कई सारी नदियाँ एक साथ निकल रही हों, उसका बुर पूरी तरह से पानी पानी हो रही थी। उसकी बुर की ऐसी हालत देख मेरा लण्ड भी पागल कुत्ते की तरह लार टपकाने लगा।
सेक्स की दुनिया में यह हम दोनों का पहला कदम था तो थोड़ा डर लग रहा था लेकिन हमारे डर के ऊपर वासना पूरी तरह से हावी हो चुकी थी और दो जिस्म एक दूसरे में समाहित होने को तैयार हो चुके थे।
मैंने उसकी योनि को चूमा और चोदने के लिए तैयार हुआ। तभी एकता ने कहा- मैं तेरा लंड चूसना चाहती हूँ।
मैं इसके लिए तैयार नहीं था फिर भी उसका दिल रखने के लिए मैंने हाँ कह दी और उसने लपक कर मेरे लिंग को अपने मुख में ले लिया और चूसने लगी। मेरा लण्ड पूरे उफान पर था और एक मिनट में मेरा सारा माल बाहर आ गया और एकता मलाई की तरह उसको चट कर गई।
मैं ठण्डा पड़ने लगा था लेकिन एकता अभी भी पूरे जोश में थी और उसने मेरे लंड को चूसना चालू रखा और कुछ देर में मेरा लंड फिर से अपनी उसी अवस्था में आ गया। मैंने एकता को जोर से धक्का दिया और वो अपने आपको संभालते हुए बेड पर जा गिरी।
मैंने अपने लौड़े को उसकी बुर के पानी से चिकना बनाया और उसे चोदने के लिए अपने लंड का सुपारा उसकी बुर के मुँह पर लगाया और जोर से धक्का दिया लेकिन मेरा लंड फिसल गया। मुझे यह तो पता था कि वो अभी तक किसी से चुदी नहीं है लेकिन उसकी बुर में प्रवेश मिलने में इतनी कठिनाई होगी यह नहीं मालूम था। मेरी इस असफलता पर एकता जोर जोर से हंसने लगी तो मैंने उसकी चिमटियाँ काट कर उसका ध्यान भटकाने की कोशिश की। मैंने फिर से कोशिश की और धीरे धीरे लंड को उसकी बुर में उतारने लगा और इस बार मैं कोई गलती नहीं करना चाहता था। लंड अब दो इंच तक अन्दर जा चुका था और एकता की हंसी हवा हो चली थी, उसका हंसना अब कराहने में बदल चुका था।
मैंने उसकी चिल्लाहट को रोकने की कोशिश नहीं की, मैं उसको और दर्द देना चाहता था, उसकी कराहट की आवाज़ से मेरी मर्दानगी और बढ़ती जा रही थी और मैं और जोर लगा कर अपना लौड़ा उसकी बुर के अन्दर घुसाए जा रहा था। अंत में मैं उसकी बुर के सब अवरोधों को ध्वस्त करते हुए अन्दर तक पहुँच चुका था। एकता की आँखों से आँसुओं की धार बह निकली थी लेकिन मैं रूकना नहीं चाहता था तो मैंने धक्के लगाना चालू कर दिया।
एकता की सहनशक्ति कमाल की थी, उसने जल्दी ही अपने आप को संभाला, मुझे कस कर अपने आगोश में भर लिया और मुझे उकसाने लगी। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, एकता भी गांड उठा उठा कर मेरे लंड को अन्दर तक लेने लगी। हम दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे और पसीने पसीने हो गए थे। उसके पसीने की भीनी भीनी खुशबू मेरे नाक तक पहुँच रही थी और मुझे मदहोश करती जा रही थी।
मैंने अपने आपको थोड़ा आराम दिया और उसे यहाँ वहाँ किस करने लगा। लेकिन मेरा लंड रुकने के मूड में नहीं था और चोदने के लिए बेताब हुआ जा रहा था।
मैंने फिर से लंड को उसकी बुर में घुसाया और चोदना चालू कर दिया।
एकता शायद समझ गई थी कि उसके कराहने से मुझे और बल मिल रहा था तो वह और जोर जोर से चिल्लाने लगी, मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और पूरे बल से उसे चोदने लगा। उसकी बुर से पच्च पच्च की आवाज़ आ रही थी और एकता 'आह आह' करके मेरा उत्साह बढ़ा रही थी। हमारे शरीर में आया सुनामी पूरे उफान पर पहुँचने के बाद अब शांत होने वाला था, हम दोनों को इसका अहसास हो रहा था कि अब हम झड़ने वाले हैं, मैं और जोर लगा कर चोदने लगा।
एकता ने कहा- तू अपना माल बाहर निकालना !
मैंने कहा- ठीक है।
हम दोनों पूरे उफान पर थे और उसी उफान में मैं अपने को कण्ट्रोल न कर सका और एकता के अन्दर ही झड़ गया। फिर हम दोनों हांफते हुए एक दूसरे से अलग हुए, मैंने एकता से कहा- तू टेंशन ना ले, मैं तेरे लिए पिल ला दूँगा।
हमने एक दूसरे को फिर से किस किया और अपने कपड़े पहन कर पढ़ाई के लिए बैठने लगे।
लेकिन एकता ने मुझे अब वासना का पुजारी बना दिया था, कुछ ही मिनटों में हमारा फिर से चुदाई का मूड बनने लगा। इस बार मैंने एकता को कई तरह से चोदा। अगर आपको जानना है तो मुझे अपने कमेंट्स मेल करें !
मैं जल्द ही अपनी कहानी की दूसरी कड़ी लेकर आपके सामने आऊँगा।
तब तक दोस्तो 'चोदते रहो, चुदते रहो और खुश रहो !'
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